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सुख और सौभाग्य के लिए इस विधि से करें मां मंगला गौरी का व्रत और पूजा

By Harshit Shukla

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नई दिल्ली। सनातन धर्म में सावन का विशेष महत्व है। यह महिना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में सोमवार का व्रत किया जाता है साथ ही हर दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। लेकिन सावन में ही मंगलवार को महिलाएं मां मंगला गौरी व्रत करती हैं। यह दिन शिव शक्ति को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और माता शक्ति की पूजा आराधन कर सुहागन महिलाएं सुख सौभाग्य की प्राप्ति करती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियों को यह व्रत करने से मनचाहा वर मिलता है।  

धार्मिक मत है कि मंगला गौरी व्रत करने से जीवन के सभी दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त 2024 को रखा जायेगा अगर आपको भी माता पार्वती और भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त करनी हो तो मंगला गौरी व्रत पर विधि-विधान से पूजा करें। 

मंगला गौरी पूजा विधि

सबसे पहले सुबह उठ कर स्नान करें। एक चौकी लें उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां गौरी सहित शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। आप मिट्टी की भी मूर्ति बना सकती हैं। उसके बाद व्रत का संकल्प लें, आचमन करें, उसके बाद प्रतिमा का अभिषेक करें। 

गेहूं के आटे का एक दीपक बना लें। उसमें 16 बत्तियां और देसी घी डालें, फिर देवी की प्रतिमा के सामने दीपक प्रज्वलित करें। मां को 16 श्रृंगार अर्पित करें। देवी को 16 की संख्या में सभी चीजें अर्पित करें जैस- 16 शृंगार, 16 लड्डू, 16 लौंग, 16 इलायची, 16 पान, 16 फल और 16 फूल , 16 इलाईची, 16 पेंड के पत्ते आदि। अगर आप इतना नहीं कर सकती तो केवल 16 बाती का दीपक बना लें। ये सारी सामग्री केवल उद्यापन के दिन मां को अर्पित कर दें।

मां को आटे के चूरमे से बने 16 लड्डू जरुर अर्पित करें। मां गौरी को समर्पित मंत्रों का जाप करें और ध्यान करें। अंत में मां मंगला गौरी की कथा पढ़ें और आरती कर लें। पूजा समाप्त होने पर पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। आपने जो श्रृंगार का सामान चढ़ाया है वो किसी सुहागन स्त्री को दें दे और भोग सबमें बाँट दें।

मां मंगला गौरी की आरती 

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता, जय मंगला गौरी…

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता, जय मंगला गौरी…

सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था, जय मंगला गौरी…

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता, जय मंगला गौरी…

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता, जय मंगला गौरी…

सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता, जय मंगला गौरी…

देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता, जय मंगला गौरी…

मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता.

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता..

मंगला गौरी पूजा के मंत्र

इन मन्त्रों से मां की करें आराधना..

  1. सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
  2. ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा ।।
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