रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह नाराजगी जाहिर की कि अब संपन्न और प्रभावशाली लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे हैं, जबकि उनके पास पहले हाईकोर्ट जाने का विकल्प मौजूद होता है। यह टिप्पणी उस वक्त आई जब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले और अन्य मामलों में ईडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अगर हर अमीर व्यक्ति सीधे सुप्रीम कोर्ट आने लगेगा तो आम जनता और उनके साधारण वकीलों के लिए जगह नहीं बचेगी। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब हाईकोर्ट संवैधानिक अदालत है तो याचिकाकर्ता पहले वहां क्यों नहीं गए? पीठ ने इसे “एक नया चलन” करार दिया, जो न्याय व्यवस्था के संतुलन को बिगाड़ सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उनके बेटे की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि ईडी जानबूझकर गिरफ्तारी कर रही है और आरोप पत्र टुकड़ों में दाखिल कर रही है। उन्होंने कहा कि कई बार नाम शुरूआती एफआईआर में नहीं होता, लेकिन पूरक आरोपपत्र में जोड़कर गिरफ्तारी कर ली जाती है।
कपिल सिब्बल ने यह भी आरोप लगाया कि ईडी 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई कानूनी व्यवस्था का उल्लंघन कर रहा है और इसलिए उन्होंने पीएमएलए की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत न देते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट का रुख करने का निर्देश दिया।