नई दिल्ली। प्रदोष व्रत भगवान शिव से वरदान पाने का सबसे सरल उपाय माना जाता है और अगर यह सावन के महीने में किया जाए तो फिर क्या कहने? श्रावण महीने में प्रदोष व्रत रखने और प्रदोष काल में शिव परिवार की पूजा करने से सुख-संपदा में वृद्धि होती है साथ ही भक्त की हर मनोकामना भी पूरी होती है। 1 अगस्त को सावन महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा । गुरुवार को पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जायेगा। तो चलिए जानते हैं कि श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष पर पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को किस विधि और महूर्त में किया जाए जिससे भगवान अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाए;
श्रावण मास के पहले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
- त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 01, 2024 को 03:28 pm तक
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – अगस्त 02, 2024 को 03:26 pm तक
- प्रदोष पूजा मुहूर्त – 07:12 pm से 09:18 pm तक
- अवधि – 02 घण्टे 06 मिनट्स
- दिन का प्रदोष समय – 07:12 pm से 09:18 pm तक
मंत्र- ॐ नमः शिवाय, ॐ पार्वतीपतये नम:,ॐ पशुपतये नम:॥,नमो नीलकण्ठाय
पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री
दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, बेल का पत्ता, भांग, धतुरा, शमी पत्र, गंगा जल, फल, मिष्टान, धुप, दीप
सावन प्रदोष पूजा-विधि
व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण कर लें। एक चौकी बिछाएं और उस पर एक आसन डाल कर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी का चित्र स्थापित करें। उसके बाद हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। उसके बाद विधिवत शिव परिवार की पूजा करें ।
फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। उसके बाद भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। सावन गुरु प्रदोष व्रत की कथा सुनें। कथा कहने के बाद घी के दीपक से आरती करें। पूजा समाप्त करने के बाद क्षमा प्रार्थना भी करें।
सावन के पहले प्रदोष का उपाय
अगर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान को अतिशीघ्र प्रसन्न करना है तो पूजन के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें-
घी, दही, सफ़ेद फूल, पांच फल, काले तिल, जौ, कच्चे दूध में बताशे डाल कर, गंगाजल में सफ़ेद चन्दन मिलकर।