नई दिल्ली। कहते हैं कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। अगर सच्चे मन और भक्ति भाव से उनकी पूजा की जाए तो भगवान भोलेनाथ हर दुःख को हर लेते हैं। भगवान को सावन का महिना अतिप्रिय है। इस महीने में प्रत्येक दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
सावन के सोमवार को और मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। कहा जाता है अगर आप शादी के इच्छुक है तो भगवान भोलेनाथ यह मनोकामना अति शीघ्र पूरी करते हैं। अगर आप भी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो सावन में प्रत्येक दिन एक लोटे जल और बेलपत्र के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें और साथ में नीचे दिए श्रोत का पाठ करें। इस मंगलकारी श्रोत से भगवान शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होकर आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ।।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ।।
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ।।
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति ।।
।। इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं
श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ।।