लखनऊ। हिंदू धर्म में सुहागन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत और पूजा का बड़ा महत्व होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं और साथ में व्रत भी रखती हैं। यह पर्व ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को पड़ता है। इस साल वट सावित्री व्रत 06 जून दिन गुरुवार को किया जाएगा।
वट सावित्री व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को ही सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने के लिए विवश कर दिया था। इसलिए इसी दिन को सभी विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और खुशहाली के लिए इस व्रत को करती हैं। वट सावित्री व्रत 06 जून गुरुवार के दिन किया जाएगा। इसकी पूजा के लिए शुभ मुहुर्त सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक है।
इस विधि से करें पूजा
इस व्रत को करने के लिए सबसे पहले महिलाओं को ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए। महिलाओं को पूजा के लिए लाल रंग के वस्त्र का उपयोग करना चाहिए। साथ ही अच्छे से श्रृंगार कर पूजा में सम्मिलित होना चहिये। पूजा के लिए वट वृक्ष के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। उसके बाद पेड़ में जल अर्पित कर षोडश विधि से पूजा करें,जैसे-धुप, दीप, फल मिठाई इत्यादि। अब वट वृक्ष के चारों तरफ सात बार कच्चा धागा लपेटते हुए परिक्रमा करें। अंत में सावित्री व्रत की कथा सुनें। इस दिन ब्रहामणों को अपने सामर्थ अनुसार दान भी देना चाहिए।