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सिरमौर : हाईवे किनारे बना स्कूल , बच्चो की जान का खतरा

By Harshit Shukla

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भोपाल। सिरमौर के आस्था पब्लिक स्कूल के बच्चों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि स्कूल राष्ट्रीय राज्यमार्ग हाइवे से सटी हुई हैं। इनका मुख्य गेट सीधे सड़क पर खुलता है, जिससे बच्चों के लिए स्कूल आना और जाना बेहद खतरनाक है। हर दिन लगभग 600 बच्चे स्कूल में पढ़ाई के लिए आते हैं और छुट्टी के समय घर लौटते हैं, लेकिन उन्हें सड़क पार करने के दौरान लगातार खतरा बना रहता है।

अभिभावकों के लिए यह गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ हैं , प्रशासन और शिक्षा विभाग के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है , सड़क के पास स्थित स्कूलों में स्पीड ब्रेकर और वैरिगेट्स होने चाहिए , सड़क पर तेज गति से गुजरने वाले वाहन कभी भी किसी भी बच्चे को कुचल सकता है।

सुविधाओं की कमी :

खेल बच्चो का मौलिक अधिकार है बिना प्ले ग्राउंड के ही चल रहा स्कूल , हालाकि सिरमौर की अन्य कई प्राईवेट स्कूलों में भी खेल का मैदान नहीं है जबकि प्राइवेट स्कूलों की मान्यता के लिए खेल मैदान होना अनिवार्य शर्त है। लेकिन अधिकांश प्राइवेट स्कूल में खेल मैदान नही है। यहां अधिकांश स्कूले आवासीय भवन में संचालित हो रहे हैं। जबकि आरटीई के प्रावधान के मुताबिक स्कूल की मान्यता के लिए 2 एकड़ जमीन होना जरूरी है।

फायर : आग ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो थोड़ी सी लापरवाही के कारण कहीं भी किसी भी वक्त विकराल रूप लेकर जन – धन हानि पहुंचा सकती है। बावजूद इसके फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही बरती जाती है। हम आपको बता दें कि निजी स्कूलों में भवन के अनुरूप आग से बचाव के प्रबंध नहीं किए गए हैं तमाम प्राईवेट स्कूलों में मंजिलों के ऊपर कक्षाएं संचालित की जाती हैं लेकिन आग से बचाव के प्रबंध नहीं किए गए हैं , एमरजेंसी एग्जिट होना दूर की बात सीढ़ियां तक संकीर्ण बनी हुई हैं , इसके बाबजूद स्कूल प्रबंधन द्वारा आग से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है .

खिड़कियों की कमी के कारण होने वाली समस्याएं: प्रकाश की कमी:
अपर्याप्त प्रकाश के कारण छात्रों को पढ़ने और लिखने में कठिनाई होती हैं जिससे उनकी पढ़ाई में प्रभाव इसके अलावा, अपर्याप्त प्रकाश से आंखों पर तनाव और थकान जैसी समस्या

वेंटिलेशन की कमी : 
खिड़कियों की कमी के कारण, कक्षा में ताजी हवा का संचार नहीं हो पाता है, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो सकती है। इससे छात्रों और शिक्षकों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, और ध्यान केंद्रित करने में भी मुश्किल हो सकती है।

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