रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों के हित में एक अहम फैसला सुनाते हुए राज्य के जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें कक्षा 1 से 10 तक केवल एनसीईआरटी/एससीईआरटी की पुस्तकें इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने इसे मनमाना, अवैध और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के विरुद्ध करार दिया, जो व्यवसाय की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
यह फैसला छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की याचिका पर सुनाया गया। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार का यह निर्देश न केवल अनुचित है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके अनुसार, निजी स्कूलों पर यह दबाव था कि वे केवल एनसीईआरटी/एससीईआरटी की किताबें ही बेचें और अन्य कोई पुस्तक इस्तेमाल करने पर मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता असीष श्रीवास्तव ने कोर्ट में दलील दी कि सीबीएसई की 12 अगस्त 2024 की गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया है कि कक्षा 1 से 8 तक एनसीईआरटी की पुस्तकों के प्रयोग की सलाह दी जाती है, पर पूरक सामग्री और निजी प्रकाशकों की पुस्तकों का भी प्रयोग किया जा सकता है। कक्षा 9 से 12 में एनसीईआरटी किताबें अनिवार्य हैं, परंतु जहां उपलब्ध न हों, वहां डिजिटल सामग्री मान्य है।
हाई कोर्ट के इस फैसले से छात्रों को राहत मिलेगी, क्योंकि एनसीईआरटी की किताबें कई बार विषयों को समझने में पर्याप्त नहीं होतीं। अब निजी प्रकाशनों की किताबों के प्रयोग से पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर होगी।