भोपाल। मध्य प्रदेश के कई मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। मामले के खुलासे के बाद मुख्य सचिव वीरा राणा को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली बुलाया था। उसके बाद श्योपुर में जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले की जांच सौंपी गई। अब मंगलवार को शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश के मदरसा बोर्ड ने 56 मदरसों की मान्यता समाप्त कर दी। इन मदरसों में हिंदू बच्चों के नाम सरकारी मदद ली जा रही थी।
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने इन मामलों को देखते हुए सभी जिलों में चल रहे मदरसों की जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। श्योपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी जांच में पाया कि मदरसों में उन हिंदू बच्चों और बच्चियों के नाम पर सरकारी अनुदान लिए जा रहे थे जो अपनी शिक्षा पूरी कर चुके हैं। या फिर वह कहीं नौकरी कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक मदरसे में मानव गोयल का नाम है जो मौजूदा समय में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। प्रिया मित्तल एक डॉक्टर हैं, लेकिन उनके नाम पर सरकारी खाद्यान्न लिया जा रहा था। कई ऐसे नाम हैं जिनके नाम पर यह धांधली चल रही है। ऐसे ही कुछ ऐसे छात्र हैं जिन्होंने आज से 4 या पांच साल पहले पढ़ाई की थी फिर भी उनका नामांकन वर्ष दिखाया गया है।
राज्य के 1505 मदरसों में 9427 हिंदू बच्चे कर रहे पढ़ाई
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को मिली जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कुल 1505 मदरसे हैं, जिनमें 9427 हिंदू बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। इसमें हिंदू बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या मुरैना में है। यहां के 68 मदरसों में 2068 बच्चे पढ़ रहे हैं। जबकि भिंड के 78 मदरसों में 1812 और रीवा के 111 मदरसों में 1426 हिंदू बच्चे अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जानकारी आने के बाद इस गड़बड़ झाले पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। वहीं अब सरकार की नजर अन्य मिशनरी आश्रमों और एनजीओ पर भी है ।