
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की स्कूली शिक्षा प्रणाली को अधिक संतुलित और गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण शुरू किया है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षक संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण और अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
फिलहाल प्रदेश में कई प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां या तो कोई शिक्षक नहीं है या फिर सिर्फ एक ही शिक्षक कार्यरत है। दूसरी ओर, कुछ स्कूलों में जरूरत से कहीं ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। उदाहरण के लिए, करीब 1,500 प्राथमिक शालाओं में 5 या उससे अधिक शिक्षक हैं, जबकि 212 स्कूल ऐसे भी हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है।
सरकार का मानना है कि इस असंतुलन को दूर किए बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव नहीं है। इसी सोच के तहत, एक ही परिसर में संचालित विभिन्न स्तरों के स्कूलों — जैसे प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और उच्च माध्यमिक — को क्लस्टर स्कूल मॉडल के तहत एकीकृत किया जा रहा है। इससे न सिर्फ प्रशासनिक समन्वय बेहतर होगा, बल्कि बच्चों को निरंतर और सुविधाजनक शिक्षा भी मिलेगी।
इस योजना से शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की तैनाती हो सकेगी, स्थापना खर्च घटेगा और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। साथ ही, बच्चों को हर स्तर पर नए प्रवेश की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और शिक्षा का स्तर मजबूत होगा।
यह निर्णय स्कूल बंद करने का नहीं, बल्कि उन्हें अधिक प्रभावशाली और सशक्त बनाने का प्रयास है।