रायपुर। छत्तीसगढ़ में 14 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू होनी है, लेकिन इसके पहले ही छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। संघ के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रायपुर, दुर्ग, जगदलपुर, अंबिकापुर और बिलासपुर सहित पांच संभागीय मुख्यालयों पर धरना देकर अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस वर्ष राज्य सरकार ने 25.75 लाख किसानों से 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। हड़ताल के कारण सहकारी समितियों में तालाबंदी हो गई है, जिससे धान खरीदी की तैयारियों में बारदाना (बोरियों) की व्यवस्था, लाइटिंग, सफाई, और हमाल जैसे मानव संसाधन की व्यवस्था ठप हो गई है।
संघ की प्रमुख मांगें:
- प्रबंधकीय अनुदान: मध्यप्रदेश की तरह प्रत्येक समिति को 5 लाख रुपये का प्रबंधकीय अनुदान।
- सेवानियम 2018 में संशोधन: सेवानियम में संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान और भत्तों का प्रावधान।
- सूखत मान्यता: सूखी धान (सूखत) की मान्यता देने का प्रावधान, जो कि वर्ष 2023-24 की धान खरीदी में लागू हो और आगे भी जारी रहे।
इस हड़ताल में प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों के 13 हजार से अधिक कर्मचारी शामिल हैं, जो कि इस वर्ष की धान खरीदी प्रक्रिया पर बड़ा असर डाल सकते हैं। संघ के उपाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी और सरकार को इसकी गंभीरता पर ध्यान देना चाहिए।