नई दिल्ली । गर्म क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों के गुर्दे ज्यादा तेजी से खराब हो रहे हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित मरीज जो बेहद गर्म क्षेत्रों में रहने को मजबूर हैं, सालाना उनके गुर्दे की कार्यक्षमता में आठ फीसदी की अतिरिक्त गिरावट देखी गई है। यह बात लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सामने आई है।
द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, गुर्दे की कार्यक्षमता में यह अंतर समशीतोष्ण जलवायु में रहने वाले मरीजों की तुलना में देखा गया है। समशीतोष्ण क्षेत्रों में तापमान बहुत ज्यादा गर्म नहीं होता। साथ ही वहां सर्दी और गर्मी के तापमान में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता।
वजन, मधुमेह का भी असर
अध्ययन में 21 देशों के 4,017 लोगों को शामिल किया गया। ये सभी लोग अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों से संबंध रखते थे। इनमें से कुछ उच्च, जबकि कुछ मध्यम आय वाले देशों के थे। सामने आया कि बेहद गर्म जलवायु में रहने वाले मरीजों के गुर्दे की कार्यक्षमता में हर साल आठ फीसदी की अतिरिक्त गिरावट आती है। इसके अलावा मरीज के वजन, मधुमेह और रक्तचाप ने भी उस पर अतिरिक्त असर डाला था।
सीकेडी से संबंध उजागर
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में गर्मी और क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के बीच संबंधों को भी उजागर किया है। क्रोनिक किडनी डिजीज वर्षों पुराने वे मर्ज हैं जो गुर्दे को प्रभावित करते हैं। गर्म देशों में किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गर्मी एक बड़ी समस्या है। वहीं, जिस तरह वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है यह स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है।
निपटने में मिलेगी मदद
अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर बेन कैपलिन के मुताबिक, अब जब हम यह जानते हैं कि इस बीमारी में गर्मी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तो इससे निपटने के लिए हम विभिन्न तरीकों की मदद ले सकते हैं। जैसे बहुत अधिक पानी पीना, सूरज से बचना और अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से बचना। अध्ययन सीकेडी मरीजों पर केंद्रित था, ऐसे में यह नहीं कह सकते कि सामान्य किडनी वालों पर गर्मी का क्या असर पड़ता है।
हर 10वां इन्सान किडनी की बीमारी का शिकार…दुनिया का हर 10वां इन्सान आज किडनी संबंधी बीमारियों का शिकार है। भारत की 16 फीसदी आबादी क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित है। वैश्विक स्तर पर 2018 के दौरान डायलिसिस प्राप्त करने वाले मरीजों की संख्या भारत में सबसे अधिक एक लाख 75 हजार दर्ज की गई थी।