बिहार। राज्य के राजगिर में नालंदा यूनिवर्सिटी का नया परिसर बनकर तैयार हो गया और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद के साथ ही 17 देश के राजदूत भी हिस्सेदारी किए हुए हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस यूनिवर्सिटी को 2016 में संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था। 2017 से नालंदा के नए परिसर का निर्माण शुरू किया गया था, जो बन कर तैयार हो गया है।
विश्व भर में आकर्षण का केंद्र रही है नालंदा
जानकारी के तहत नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना पांचवी सदी में की गई थी और तब विश्व भर के छात्रों के लिए यह आकर्षण का केंद्र रही। इस यूनिवर्सिटी में 10000 छात्र पढ़ाई करते थे तो उनको पढ़ने के लिए 1500 अध्यापक नियुक्त थें, हालांकि 12वीं शताब्दी में आक्रमण कारियों ने इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। जिसका एक बार फिर 2024 में नया स्वरूप बनकर तैयार हुआ है। इतिहास बताता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की निव गुप्त राजवंश के द्वारा की गई थी और इस यूनिवर्सिटी में एशियाई देश चीन, कोरिया, जापान समेत अन्य देशों के छात्र पढ़ाई न सिर्फ करते थें बल्कि यंहा आने वाले बौद्ध बिच्छू भी छात्र हुआ करते थें। नालंदा यूनिवर्सिटी ज्ञान और बुद्धिमानी के प्रचार के लिए पुराने भारत के योगदान का गवाह है।
1900 छात्र कर सकेंगे पढ़ाई
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर में 40 क्लास रूम बनाए गए हैं जहां 1900 छात्र बैठकर पढ़ाई कर सकेंगे, यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरियम है, जिसमें 300 सीटें है, इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एमपी थियेटर भी बनाया गया जहां 2000 लोगों के बैठने की क्षमता है। यूनिवर्सिटी में दो अकेडमी ब्लॉक है तो छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट कंपलेक्स सहित कई अन्य सुविधाएं बनाई गई है। यूनिवर्सिटी का कैंपस नेट जीरो कैंपस है जिसके तहत पर्यावरण अनुकूल के एक्टिविटी और शिक्षा होती है। पानी को रिसाइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है, वह 100 एकड़ की वाटर बॉडी के साथ कई सुविधाएं पर्यावरण की अनुकूल तैयार की गई है।