बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में संचालित बिना मान्यता वाले निजी स्कूलों के खिलाफ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक इन स्कूलों में किसी भी नए छात्र का दाखिला नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसे विकास तिवारी की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे और मानस बाजपेयी ने दाखिल किया था। याचिका में बताया गया कि प्रदेश में कई निजी स्कूल बिना आवश्यक मान्यता के नर्सरी से लेकर कक्षा एक तक की पढ़ाई करवा रहे हैं। कई स्कूल तो एक मान्यता प्राप्त संस्थान के नाम पर शाखाएं खोलकर शिक्षा दे रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग केवल खानापूर्ति कर रहा है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन छात्रों का दाखिला पहले ही हो चुका है, उन्हें कक्षा से बाहर नहीं किया जाएगा। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि रजिस्ट्रार ऐसी कोई याचिका स्वीकार न करें जिसमें दाखिले रद्द कराने की मांग हो, जिससे अभिभावकों को अनावश्यक परेशानी न हो।
शिक्षा विभाग के संचालक (डीपीआई) ने कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि नर्सरी से केजी-2 तक की कक्षाओं के लिए मान्यता जरूरी नहीं है। मगर याचिकाकर्ता के वकीलों ने इसका खंडन करते हुए 7 जनवरी 2013 की सरकारी अधिसूचना का हवाला दिया, जिसमें इन कक्षाओं के लिए भी मान्यता अनिवार्य बताई गई है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 5 अगस्त 2025 निर्धारित की है।