
रायपुर। नई शिक्षा नीति के तहत इस साल एनसीईआरटी ने कक्षा चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं के पाठ्यक्रमों में बड़ा बदलाव किया है। बदलाव तो जरूरी था, लेकिन इसकी वजह से किताबें अब तक बाज़ार में नहीं पहुंची हैं।
1 अप्रैल से स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन बच्चे अब भी खाली हाथ स्कूल जा रहे हैं। उधर स्कूल प्रशासन अभिभावकों से किताबें लाने की मांग कर रहा है। अभिभावक भी परेशान हैं — एक तरफ किताबें बाजार में हैं नहीं, और दूसरी तरफ स्कूल का दबाव झेल रहे हैं।
समझदारी भरा कदम: ब्रिज कोर्स
इस बदलाव के बीच एनसीईआरटी ने एक ब्रिज कोर्स तैयार किया है, जो बच्चों को पुराने पाठ्यक्रम से नए पाठ्यक्रम की ओर सहजता से ले जाने के लिए है। यह खासतौर पर कक्षा पांचवीं से आठवीं तक के छात्रों के लिए बनाया गया है।
केंद्रीय विद्यालय-1 के प्राचार्य अशोक चंद्राकर ने बताया कि इस ब्रिज कोर्स के जरिए बच्चों को पिछली कक्षा के जरूरी टॉपिक दोहराने और उन्हें आगे के लिए तैयार करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
शिक्षकों की मजबूरी और बच्चों की उलझन
सीबीएसई स्कूलों के शिक्षक भी असमंजस में हैं। उनके पास जो पुरानी किताबें हैं, उन्हीं से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि पाठ्यक्रम में बदलाव होने के कारण नई किताबें छपने में समय लग रहा है।
इस देरी का असर सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों पर पड़ा है। हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों की किताबें अब जुलाई में मिलने की उम्मीद है।