भोपाल। उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में वैकुंठ चतुर्दशी पर होने वाले हरि-हर मिलन की तैयारियां पूरी हो गई हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव (महाकाल) और भगवान विष्णु (गोपालजी) का मिलन होता है, जिसे “हरि-हर मिलन” के रूप में जाना जाता है। आधी रात को भगवान महाकाल और गोपालजी के बीच प्रतीकात्मक मिलन संपन्न होगा। इस मिलन के दौरान भगवान गोपालजी को बिल्व पत्र अर्पित किया जाएगा, जबकि भगवान महाकाल को तुलसी की माला चढ़ाई जाएगी।
धर्मशास्त्रों में मान्यता है कि वामन अवतार के समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को आतिथ्य का वचन दिया था, जिसके कारण वे चार महीने (चातुर्मास) पाताल लोक में राजा बलि के पास बिताते हैं और इस अवधि में सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव संभालते हैं। देव प्रबोधिनी एकादशी पर यह चातुर्मास समाप्त होता है और भगवान विष्णु वैकुंठ लौट आते हैं। इसके तीन दिन बाद, वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव भगवान विष्णु को पुनः सृष्टि का भार सौंपने जाते हैं।
यह आयोजन विशेष रूप से अवंतिका तीर्थ क्षेत्र (उज्जैन) में धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों में वर्णित इस हरि-हर मिलन की परंपरा सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में 100 साल से भी अधिक समय से निभाई जा रही है। हरि-हर मिलन के उपरांत रात 2 बजे महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर से लौटकर महाकाल मंदिर में वापस आती है।