छत्तीसगढ़ में धार्मिक मतांतरण को लेकर स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, विशेष रूप से शीत ऋतु में ईसाई मिशनरियों द्वारा आयोजित चंगाई सभाओं के चलते। इन सभाओं में बीमारियों से छुटकारा और आर्थिक प्रलोभन का वादा कर लोगों का मतांतरण किया जा रहा है, जिसका कई हिंदू संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। कई जिलों में विरोध के चलते घर वापसी के कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने मतांतरण के खिलाफ सक्रिय कदम उठाए हैं, और बीते 11 महीनों में 13 एफआईआर दर्ज की गई हैं। प्रशासन ने कई जगहों पर प्रार्थना सभाओं पर निगरानी बढ़ा दी है, और सरगुजा, बलरामपुर जैसे जिलों में तो कई सभाएं रुकवा दी गई हैं।
सरकार जबरन मतांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कानून को और कठोर बनाने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित कानून के तहत जबरन मतांतरण के मामलों में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है, और दोषी पाए गए लोगों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में मतांतरण के लिए जिलाधिकारी को जानकारी देना अनिवार्य किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है कि जबरन मतांतरण को रोकने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। वहीं, विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन मतांतरित लोगों की घर वापसी कराने में जुटे हैं।