ढाका। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण बहाली के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हिंसा जारी है। इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के जनरल सेक्रेटरी ओबैदुल कादर ने शुक्रवार (19 जुलाई) देर रात कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हिंसा काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसमें अब तक कुल 105 लोग मारे गए हैं। बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक 778 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौट आए हैं। ढाका यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक के लिए बंद दिया है। छात्रों को बुधवार तक हॉस्टल खाली करने को कहा गया है। न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी छात्रों ने शुक्रवार को नरसिंगडी जिले में एक जेल पर धावा बोल दिया था। उन्होंने सैकड़ों कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद वहां आग लगा दी थी। इससे पहले गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी BTV ऑफिस के कैंपस में घुस आए और 60 से ज्यादा गाड़ियां फूंक दी। उसी दिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने BTV को इंटरव्यू दिया था।
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर प्रदर्शन की वजह
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल से वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20% सीटें रखी गईं। 1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं। 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटा कर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा जोड़ा गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं। शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी 1% कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल कोटा 56% हो गया।
6 साल पहले सरकार ने कोटा सिस्टम बंद किया था
साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की मगर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए। अब इसी के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है।