भोपाल। ग्वालियर पुलिस महकमे में अनुशासन और भरोसे को चुनौती देते हुए 88 पुलिसकर्मी ऐसे सामने आए हैं, जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं। इनमें से 66 पर विभागीय जांच चल रही है, जबकि 22 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से 80% पुलिसकर्मी फिलहाल थानों या महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं।
इनमें तीन थानों की कमान निरीक्षक स्तर के दागी अधिकारियों के हाथ में है। एक प्रमुख मामला एसआई महेंद्र प्रजापति का है, जिन पर तकरीबन एक किलो सोना खुर्दबुर्द करने का आरोप है, इसके बावजूद उन्हें बेहट थाने का प्रभार दे दिया गया है। इस फैसले को लेकर महकमे में नाराजगी और चर्चाएं तेज हैं।
डीजीपी कैलाश मकवाना ने पुलिस की छवि सुधारने के लिए पिछले महीने कई सख्त कदम उठाए हैं। 17 जून को स्पेशल डीजी आदर्श कटियार ने आदेश जारी कर सभी जिलों में ऐसे पुलिसकर्मियों को हटाने के निर्देश दिए, जिन पर विभागीय या आपराधिक प्रकरण लंबित हैं। इसी के तहत ग्वालियर में दागी अफसरों की सूची तैयार की गई है।
सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इन सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने की कार्रवाई शुरू हो सकती है। हालांकि कुछ रसूखदार सिफारिशों के चलते यह प्रक्रिया धीमी चल रही है।
स्थिति यह है कि आरोपियों से खुद यह शपथपत्र लिया जा रहा है कि उनके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है। पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के बाद अब स्थापना शाखा पर दबाव है कि वह सिफारिशों को नजरअंदाज कर निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करे।