पुरी: पुरी शहर में जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ, पहांडी बिजे, सिंहद्वार के सामने खड़े भगवान के रथों की शानदार शोभायात्रा, देवताओं की पहांडी बिजे के रूप में जानी जाने वाली शोभायात्रा, रथ यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. लाखों भक्त त्रिदेवों की दुर्लभ रस्म को देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. रथ यात्रा के दिन इस रस्म को धाड़ी पहांडी कहा जाता है. इसका अर्थ है कि देवताओं को श्रीमंदिर के गर्भगृह से एक भव्य जुलूस में ले जाया जाता है. इसे धाड़ी पहांडी इसलिए कहा जाता है क्योंकि देवताओं को एक के बाद एक ले जाया जाता है, जिसमें सेवकों के एक विशेष समूह द्वारा घंटियां, झांझ और शंख बजाए जाते हैं. रथयात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहनचरण माझी, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक मौजूद हैं.
भगवान जगन्नाथ की पहांडी बिजे रस्म, पुरी के राजा दिब्यसिंह देबा ने चेरा पहांरा रस्म निभाई. छेरा पहानरा हर साल पुरी के राजा द्वारा रथ यात्रा के दौरान किया जाता है. भगवान की मूर्तियों को रथों पर स्थापित करने के बाद, पुरी के राजा दिव्यसिंह देबा भगवान के रथों को सोने की झाड़ू से साफ करते हैं. इसके बाद राजा आरती करके देवताओं की पूजा करते हैं.
छेरा पहानरा एक ओडिया शब्द है जिसका अर्थ है झाड़ू लगाना और पवित्र जल छिड़कना. यह अनुष्ठान राज्य के मुखिया की भगवान के प्रति भक्ति दिखाने के लिए किया जाता है. पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होने के साथ ही भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों – भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को रथों पर रखा गया.
बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा आज ओडिशा के पुरी शहर में रथ यात्रा के अवसर पर नौ दिनों के प्रवास के लिए श्रीगुंडिचा मंदिर की यात्रा पर निकलने वाले हैं. इस भव्य उत्सव के सुचारू संचालन के लिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. तीन रथ – नंदीघोष, तलध्वज और दर्पदलन को पवित्र देवताओं को गुंडिचा मंदिर ले जाने के लिए श्रीमंदिर के सिंहद्वार पर तैयार रखा गया है.
यह आमतौर पर रथ यात्रा से एक दिन पहले मनाया जाता है. हालांकि, इस साल देवताओं के नबाजौबन दर्शन और नेत्रोत्सव अनुष्ठान रथ यात्रा के दिन किए जाएंगे. इससे पहले यह दुर्लभ संयोग 1971 में हुआ था. भारतीय रेलवे ने घोषणा की है कि पुरी रथ यात्रा के लिए 315 से अधिक विशेष ट्रेनों की योजना बनाई गई है. पुरी में रथ यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेनें ओडिशा के लगभग सभी हिस्सों और पड़ोसी राज्यों से जुड़ी है.