
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने राजधानी भोपाल और वाणिज्यिक नगरी इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ा दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठक में इस महत्वाकांक्षी योजना का विस्तृत प्रारूप प्रस्तुत किया गया। अब “मध्यप्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025” का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक में पेश होने जा रहा है, जो इंदौर के राजवाड़ा में आयोजित की जाएगी।
इस अधिनियम के लागू होने के बाद भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में रायसेन, सीहोर, विदिशा और राजगढ़ जिलों के कुछ हिस्सों को जोड़ते हुए लगभग 9600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल किया जाएगा। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन में उज्जैन, देवास और धार जिलों के शहरी और अर्धशहरी क्षेत्र मिलाकर कुल 9336 वर्ग किलोमीटर का दायरा तय किया गया है।
इस योजना का उद्देश्य दोनों शहरों को बेहतर औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय बुनियादी ढांचे से लैस करना है। 18 विभागों से आंकड़े मंगवाए गए हैं, जिनके आधार पर एकीकृत मास्टर प्लान और डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी। अगले 14 महीनों में रीजनल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट प्लान का खाका सामने आ जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि इस योजना में रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे, जिनमें हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर, टूरिज्म और अन्य सेवा क्षेत्र मुख्य होंगे।
इस अधिनियम के लागू होते ही मध्यप्रदेश, देश का 13वां राज्य बन जाएगा, जहां मेट्रोपॉलिटन रीजन विकास के लिए अलग से कानून लागू होगा। समिति के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे, जबकि नगरीय विकास मंत्री उपाध्यक्ष की भूमिका निभाएंगे।
योजना के तहत प्रकृति, पर्यटन और पारिस्थितिकी संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा, जिससे विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी सुनिश्चित हो सके।