रायपुर। छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक साधारण जूस विक्रेता के रूप में जीवन शुरू करने वाले सौरभ चंद्राकर का सफर अब सट्टेबाजी के एक बड़े घोटाले में शामिल होने के बाद अब जेल की सलोखों के बीच ख़तम होने को है। ख़बरों की माने तो उसे दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर की गई, जो भारतीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुरोध पर जारी किया गया था।
महादेव ऐप सट्टेबाजी घोटाला
महादेव ऐप के जरिए सौरभ चंद्राकर ने सट्टेबाजी का बड़ा नेटवर्क तैयार किया, जिसकी जांच को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने लगभग डेढ़ महीने पहले, 22 अगस्त को इस घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शने से इनकार किया और सख्त कार्रवाई की बात कही थी।
CBI और ED की जांच
CBI और ED ने इस घोटाले की गहराई तक जाकर जांच की, जिससे चंद्राकर की गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। अब तक इस घोटाले में 572.41 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया गया है, जिसमें दुबई में 100 करोड़ रुपये की संपत्तियां भी शामिल हैं। इस व्यापक जांच में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं, जिनसे चंद्राकर का नेटवर्क उजागर हुआ।
गोपनीय गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण
सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी बेहद गोपनीय तरीके से की गई थी। केवल कुछ उच्च स्तरीय अधिकारियों को ही इस कार्रवाई की जानकारी थी। गिरफ्तारी के बाद भारत सरकार ने तुरंत प्रत्यर्पण प्रक्रिया को तेज कर दिया। इसमें विदेश मंत्रालय (MEA), गृह मंत्रालय (MHA), ED, और CBI ने संयुक्त रूप से काम किया।
पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग की भूमिका
इस पूरी कार्रवाई में दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) राम गोपाल गर्ग का विशेष योगदान रहा। उन्होंने CBI में अपने अनुभव का उपयोग करते हुए चंद्राकर की हर गतिविधि पर नज़र रखी। गर्ग ने जुलाई 2024 में गृह मंत्रालय को तत्काल अनुरोध भेजा, जिससे प्रोविजनल अरेस्ट और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।
चंद्राकर की गिरफ्तारी और महादेव ऐप घोटाले की जांच में भारतीय एजेंसियों की सामूहिक भूमिका महत्वपूर्ण रही, जो सट्टेबाजी के इस बड़े घोटाले पर लगाम कसने में सफल साबित हुई है।