जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सीधी की एक आवेदिका के मामले में सुनवाई करते हुए कहां है कि शारीरिक संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता है। एमपी हाई कोर्ट के विद्वान न्यायाधीशों की युगल पीठ ने टिप्पणी करते हुए कुटुंब न्यायालय द्वारा पारीत तलाक के आदेश को उचित ठहराया और महिला की ओर से दायर अपील को निरस्त करके पति के पक्ष में फैसला सुनाया है।
यह है मामला
खबरों के तहत सीधी जिले की रहने वाली आवेदिका ने ससुराल पक्ष के विरुद्ध थाने में दहेज प्रताड़ना एवं घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई थी और वह ससुराल जाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद पति-पत्नी द्वारा लिखित तौर पर स्वेच्छा से तलाक भी लिया गया। तो वही महिला ने घरेलू हिस्सा का केस लगाया और यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने पति के पक्ष में निर्णय दिया है।
महिला ने कहा था पति पसंद नहीं
जानकारी के तहत दोनों पक्षकारों का विवाह 2013 को हिंदू रीति रिवाज के तहत हुआ था। जहां महिला ससुराल से शादी के 3 दिन बाद मायके चली गई और फिर उसने यह कहते हुए ससुराल जाने से इनकार कर दिया कि उसे पति पसंद नहीं है। कुटुंब न्यायालय से दोनों पक्षों ने तलाक भी लिया था। वही आवेदिका महिला ने दहेज प्रताड़ना एवं घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराते हुए हाईकोर्ट में अपील की थी। जंहा सुनवाई के दौरान पति के पक्ष में फैसला सुनाया गया है।