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बसपा का उत्तर प्रदेश में कभी था छत्रप, लोकसभा में सियासत हुई शून्य, खिसक रहा दलित वोट

By Viresh Singh

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उत्तर प्रदेश। लोकसभा चुनाव के नतीजे साफ हो गए हैं जहां उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा संसदीय सीटों में से इस बार बहुजन समाज पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है, यू कहा जाए कि बसपा की उत्तर प्रदेश मे लोकसभा की सियासत शून्य हो गई है।
दरअसल बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने उत्तर प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया था लेकिन इस बार बसपा को वहां से करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके पूर्व के चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिली थी जबकि इस बार शून्य पर सिमट गई है। चुनाव परिणाम से बसपा हैरान है।

यूपी में था बसपा का छत्रप

ज्ञात हो की उत्तर प्रदेश बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रहा है। बसपा संस्थापक काशीराम ने उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति की चेतना जगाने का काम किए और 1995 में मायावती मुख्यमंत्री बनाई गई थी। 2007 में बसपा पूर्ण बहुमत के साथ यूपी में सरकार बनाने में सफल रही। 2012 के चुनाव में उनकी सत्ता यूपी से चली गई और इसके बाद लगातार बसपा की पकड़ कंमजोर होती गई। 2024 के चुनाव में हालत यह हो गए की उत्तर प्रदेश से बसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है।

कंमजोर हुआ बसपा से दलित वोट

यूपी में दलितों की वोट बैंक रही बहुजन समाज पार्टी का दलित वोट भी धीरे-धीरे करके कंम होता नजर आ रहा है। दलित का वोट बैंक लगातार यूपी में सपा और बीजेपी में बदलता हुआ नजर आ रहा है। तो वही देश भर में दलित वोट बीजेपी एवं क्षेत्रिय दलों की ओर जा रहा है। यानी कि मायावती का दलित वोट अब लगातार घट रहा है।

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