मुंबई । देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक अस्पताल में बत्ती गुल होने पर मोबाइल फोन टॉर्च की रोशनी में सिजेरियन सर्जरी कर दी गई। इससे मां और बच्चे दोनों की मौत हो गई। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की इस कारगुजारी के बाद जमकर बवाल मचा। आरोप है कि डिलीवरी के दौरान बिजली चली गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने काफी देर तक जनरेटर नहीं चलाया।
इतना बजट फिर भी बिजली गुल
हालांकि, अगर आपको अभी भी मामले को सुनकर हैरानी नहीं हुई तो बता दें जिस अस्पताल का यह पूरा मामला है वो कोई आम अस्पताल नहीं है। घटना सुषमा स्वराज मैटरनिटी होम में हुई है, जिसे देश की सबसे अमीर नगरपालिक बृहन्नमुंबई नगर निगम (बीएमसी) चलाती है। इस बीएमसी का बजट 52,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें स्वास्थ्य के लिए आवंटित राशि 12 फीसदी यानी करीब 6,250 करोड़ रुपये है। इतना बजट होने के बावजूद लापरवाही के चलते एक मां और उसके बच्चे की जान चली गई। महिला का परिवार बीते कई दिनों से अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कर रहा है, तब जाकर बीएमसी की आंख खुली और मामले की जांच कराने का आदेश दिया गया।
बीएमसी ने दिया जांच का आदेश
भाजपा की पूर्व बीएमसी पार्षद जागृति पाटिल ने कहा कि उन्होंने मुंबई नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट से उम्मीदवार मिहिर कोटेचा से मुलाकात की है। ये अस्पताल इसी विधानसभा सीट के तहत आता है। बीएमसी ने जांच का आदेश दिया है। पाटिल ने बताया कि अस्पताल की हालत खराब है। अस्पताल को लेकर ऐसी शिकायतें पहले भी मिली हैं। कठोर कार्रवाई की जाने की जरूरत है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने की जांच की मांग
राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है, ‘एनसीडब्ल्यू इस घटना से स्तब्ध है जहां एक मां और बच्चे ने अस्पताल में अपनी जान गंवा दी। बिजली जाने की वजह से फोन की रोशनी में डिलीवर कराना चिंता का विषय है। देश की आर्थिक राजधानी में यह घटना होना राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर मुद्दों को उजागर करती है। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। आयोग इस मामले की गहन जांच करने का आग्रह करता है।’