सुप्रीम कोर्ट। बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है और इलाहाबाद के पीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखते हुए आदेश दिए हैं कि बाबा रामदेव की पतंजलि योग ट्रस्ट शिविरों के आयोजन में लिए जाने वाले शुल्क के बदले में उन्हें सर्विस टैक्स देने होंगे। जिसके तहत बाबा रामदेव को मेरठ रेंज के आयुक्त द्वारा लगाए गए सर्विस टैक्स और उसके ब्याज समेत 4 से 5 करोड रुपए तक टैक्स भरना पड़ेगा।
इलाहाबाद पीठ के फैसले को रखा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद पीठ के द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि न्यायाधिकरण ने ठीक ही कहा है कि शुल्क वाले शिविरों में योग करना एक सेवा है हमें इस आदेश में हस्ताक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला है और अपील खारिज कर दी है। दरअसल इलाहाबाद पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से आयोजित आवास एवं गैर आवासीय योग शिविरों में शामिल होने के लिए शुल्क लिया जाता है। यह स्वास्थ्य फिटनेस सेवा की श्रेणी में आता और इसमें सेवा कर लगेगा।
मेरठ आयुक्त ने लगाया था शुल्क
जानकारी के तहत यूपी के सीमा शुल्क केंद्रीय उत्पाद शुल्क मेरठ रेंज के आयुक्त ने अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के लिए जुर्माना और ब्याज सहित लगभग 4 से 5 करोड रुपए की सेवा कर की मांग की थी, जबकि ट्रस्ट ने या कहते हुए शुल्क नहीं दिए कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है जो बीमारियों के इलाज के लिए है लेकिन कोर्ट के निर्णय के बाद अब पतंजलि को चार से पांच करोड रुपए भरने होंगे।