भोपाल । कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में बुधवार को ‘विकसित भारत @2047 – रोजगार आधारित शिक्षा : रुझान एवं नए अवसर’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, विषय विशेषज्ञ और विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि “स्किल ही आज की करेंसी है।” उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए अब सामान्य महाविद्यालयों में भी कृषि, मत्स्य और पशुपालन से जुड़े पाठ्यक्रमों की शुरुआत की जा रही है। शिक्षा को केवल डिग्री तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उसे आत्मनिर्भरता और रोजगार से जोड़ना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 70 से अधिक विश्वविद्यालय हैं, और शिक्षा को भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप ढाला जा रहा है। AI, डेटा साइंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और बायोटेक्नोलॉजी जैसे आधुनिक कोर्स शुरू किए गए हैं। 220 से अधिक सांदीपनि विद्यालयों में आधुनिक कोडिंग लैब की स्थापना की गई है ताकि विद्यार्थी तकनीकी रूप से सक्षम बन सकें।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी रोजगार आधारित शिक्षा की सराहना करते हुए कहा कि स्थानीय जरूरतों और निवेश परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, ताकि स्थानीय युवाओं को बेहतर रोजगार अवसर मिल सकें। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला समय की आवश्यकता है और यह शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करेगी।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें शिक्षा को समाज की रीढ़ मानते हुए उसे समयानुकूल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।