भोपाल। देश के पर्यटन और धार्मिक शहरों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने केंद्र सरकार ने जिन 30 शहरों की सूची जारी की थी, अब उनमें धरातल पर काम होना शुरु हो चुका है। पहले चरण में सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च कर 29 शहरों में भिक्षावृत्ति में लिप्त 19 हजार 500 लोगों को मुक्त करेगी। इसी योजना के अंतर्गत 19 शहरों ने पहले क्लस्टर का टार्गेट पूरा कर लिया है। चिन्हित शहरों में भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को सामान्य जीवन से जोड़ने का कार्य सरकार ने इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के तौर पर सामाजिक संस्थाओं को दिया है, जो सर्वे के बाद भिखारियों को चिन्हित करती हैं और फिर उनका रेस्क्यू कर रोजगार से जोड़ने का काम करती हैं। जनवरी माह में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भिक्षावृत्ति से मुक्त करने 30 शहरों की सूची जारी की थी, इन्हीं शहरों में से एक सांची में सर्वे के दौरान भिक्षावृत्ति नहीं पाई जाने पर इसे सूची से हटा दिया गया और अब पहले चरण में 29 शहरों में अभियान चलाया जा रहा है। वहीं सांची के स्थान पर चयनित भोपाल में दूसरे चरण में काम होगा। 29 में से 19 शहरों ने 50 भिखारियों के क्लस्टर को भिक्षा से मुक्त कर रोजगार से जोड़ने में सफलता प्राप्त कर ली है। वहीं अन्य दस शहरों में जून माह से अभियान चलाया जाएगा।
संस्थाएं भिखारियों को चिन्हित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराती हैं
शहरों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने सरकार ने कार्य अनुभव के आधार पर देशभर की जिन संस्थाओं को चयनित किया है। वे संस्थाएं क्लस्टर के रुप में टार्गेट पूरा कर रही हैं। एक क्लस्टर में छह माह के भीतर 50 भिखारियों को चिन्हित किया जाता है, वहां से उन्हें शेल्टर होम्स तक पहुंचाना तथा रुचि के अनुसार कौशल के विविध आयाम विकसित करना और अंत में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। सरकार इन संस्थाओं को एक क्लस्टर पूरा करने के लिए 30 लाख रुपए की राशि किश्तों के माध्यम से दे रही है। इंदौर, अमृतसर, केवड़िया, सोमनाथ और शिमला सहित 19 शहरों के लिए यह राशि फरवरी तक पहुंच चुकी थी, जिससे अप्रैल माह तक वहां टार्गेट पूरा हुआ। वहीं आचार संहिता के समाप्त होती है सरकार उज्जैन, औंकारेश्वर एवं कटक सहित 10 शहरों में संस्थाओं तक पैसे पहुंचाएगी।
2020 में पायलेट प्रोजेक्ट शुरु हुआ था, इंदौर माडल किया जा रहा एप्लाइ
योजना के लिए केंद्र सरकार करीब चार साल से प्लानिंग कर रही थी। 2020 में सरकार ने पायलेट प्रोजेक्ट के तहत देशभर के दस शहरों में सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से अभियान चलाया। 2022 में इसकी रिपोर्ट जारी हुई तो देशभर की 100 पर्यटन एवं तीर्थनगरियों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने इंदौर के अभियान को माडल बनाया गया। आगे इसे सामाजिक न्याय विभाग की स्माइल योजना की एक उपयोजना के अंतर्गत इसी वर्ष जनवरी में शुरु किया गया। पहले चरण में विभाग ने 29 शहरों को चुना है। इसमें 100 करोड़ रुपए की राशि से 19 हजार 500 लोगों को पांच वर्ष में भिक्षावृत्ति से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।वहीं आगामी वर्षों में दूसरे चरण में 50 तथा तीसरे एवं अंतिम चरण में 20 शहरों में भिक्षावृत्ति से मुक्ति के लिए अभियान चलाया जाएगा।