भोपाल। मध्य प्रदेश में अक्सर खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की आए दिन घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसी को लेकर पहली बार मध्य प्रदेश सरकार अब कड़े कानून को लाने की तैयारी में है। जिसके तहत जनहानि होने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा। साथ ही बोर करने वाली एजेंसी के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। बोरवेल से पानी नहीं निकलने पर अक्सर उसे खुला ही छोड़ दिया जाता है। जिसके कारण अब तक बच्चों के गिरने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बोरवेल खुला छोड़ने और उसमे बच्चों के गिरने की घटनाओं को देखते हुए पहली बार प्रदेश में इसे लेकर कड़ा कानून बनाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इस कानून को जुलाई में होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। इस नए कानून के तहत खुला बोरवेल छोड़ने और उससे जनहानि की स्थिति बनने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही, बोरिंग करने वाली एजेंसी के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच बोरवेल से पिछले एक साल में हुए हादसों के बारे में भी जान लेते हैं।
एक साल में हुए हादसे
6 जून 2023 को 3 साल की बच्ची सीहोर जिले के बोरवेल में गिर गई। 50 घंटे की रेस्क्यू के बाद उसे बाहर निकाला गया। लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई। इसके बाद 12 जून को एमपी हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया।
18 जून 2023 को विदिशा में ढाई साल की बच्ची 25 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। बाहर निकलने पर उसकी मौत हो गई।
5 दिसंबर 2023 को 5 साल की बच्ची राजगढ़ जिले स्थित एक गांव में बोरवेल में गिर गई। 9 घंटे बाद बाहर आई तो बच नहीं सकी।
12 दिसंबर 2023 को 5 साल का बच्चा अलीराजपुर जिले के एक बोरवेल में गिर गया। बाहर निकालने पर वह बच नहीं सका।
14 अप्रैल 2024 को रीवा जिले में 6 साल का मयंक बोरवेल में गिर गया। दो दिन बाद बाहर आया तो मौत हो गई।