हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व होता है। घर के निर्माण से लेकर घर में किस वस्तु को किस दिशा में रखना चाहिए तक का वर्णन वास्तु शास्त्र में विस्तार से किया गया है। वास्तु शास्त्र में चारों दिशाओं के बारे में कुछ ना कुछ बताया गया है। अगर वास्तु शास्त्र के बताए गए नियमों का पालन करते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है। आज हम आपको बताएंगे कि दक्षिण दिशा में क्या-क्या चीज नहीं रखनी चाहिए। जाने अनजाने में और वास्तु शास्त्र के नियमों का ज्ञान न होने के कारण हम कुछ चीजों को दक्षिण दिशा में रख देते हैं, जिन्हें अशुभ माना जाता है। तो चले जानते हैं कि दक्षिण दिशा में किन चीजों को भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।
कूड़ा-करकट और टूटी-फूटी चीजें
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा को यमराज, मृत्यु के देवता की दिशा माना जाता है। इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है, इसलिए यहां कूड़ा-करकट और टूटी-फूटी चीजें रखने से नकारात्मक ऊर्जा जमा होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा आर्थिक समस्याएं, दरिद्रता, असफलता और अन्य बाधाएं पैदा कर सकती है। इसलिए, दक्षिण दिशा को हमेशा साफ और स्वच्छ रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां टूटी हुई मूर्तियां, पुराने कपड़े, खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और अन्य बेकार की चीजें न रखें। नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं या नमक का दीया रखें।
भारी सामान
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में भारी सामान रखने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। यह ऊर्जा आपके ऊपर दबाव डाल सकती है, जिससे जीवन में अवरोध, असफलता, और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, दक्षिण दिशा में भारी फर्नीचर, बड़े उपकरण, और भारी वस्तुएं रखने से बचना चाहिए। यहां हल्के और खुले फर्नीचर का उपयोग करें जिससे ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो। दक्षिण दिशा को साफ और व्यवस्थित रखें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सके।
मृत लोगों की तस्वीरें
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में मृत लोगों की तस्वीरें रखने से नकारात्मक ऊर्जा और उदासी का माहौल बन सकता है। यह मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और असफलता, अवसाद, और चिंता का कारण बन सकता है। इसलिए, मृतकों की तस्वीरें दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए। इन तस्वीरों को उत्तर-पूर्व दिशा में या पूजा स्थल पर रखा जाना चाहिए। नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए दक्षिण दिशा में आप दीपक जला सकते हैं या नमक का दीया रख सकते हैं।
मंदिर या पूजा स्थल
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा के लिए उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा सबसे उपयुक्त है। जबकि दक्षिण दिशा में मंदिर या पूजा स्थल रखने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो सकती है, जिससे आध्यात्मिक बाधाएं, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, और असफलता आ सकती है। पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे अच्छी है क्योंकि यह ईशान कोण है, जो ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। पूर्व दिशा भी सूर्योदय की दिशा है, जो सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है।
टूटा हुआ दर्पण
वास्तु शास्त्र के अनुसार, टूटा हुआ दर्पण घर में नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य लाता है। यह विशेष रूप से दक्षिण दिशा के लिए अशुभ माना जाता है, जो यमराज की दिशा है। टूटा हुआ दर्पण नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और मनोवैज्ञानिक समस्याओं, आर्थिक नुकसान, और रिश्तों में तनाव का कारण बन सकता है। इसलिए, टूटे हुए दर्पण को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए, खासकर दक्षिण दिशा में।