रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस सड़क पर उतर आई है। पार्टी ने गिरफ्तारी को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है और इसके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। हालांकि इस विरोध के बीच कांग्रेस के भीतर भी फूट की स्थिति दिखने लगी है।
रायपुर में हुए प्रदर्शन के दौरान मीडिया चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला और जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे आपस में भिड़ गए, जिससे अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई। कई वरिष्ठ नेता इस प्रदर्शन से दूर भी रहे। पार्टी के भीतर अब ये सवाल उठ रहे हैं कि जब आदिवासी नेता कवासी लखमा और भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी हुई थी, तब कांग्रेस ने इतना तीखा विरोध क्यों नहीं किया?
बीजेपी ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि पार्टी सिर्फ “परिवारवाद” और “चाटुकारिता” की राजनीति कर रही है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि चैतन्य बघेल का कांग्रेस में कोई औपचारिक योगदान नहीं है, फिर भी उनके लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन हो रहा है, जबकि आम कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा की जाती है।
वहीं कांग्रेस ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा कि वह हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ती रही है। प्रवक्ता विजय बजाज ने कहा कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड मामले से लेकर आज तक ईडी के दुरुपयोग का विरोध किया है, और ये लड़ाई किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।
हालांकि, चैतन्य की गिरफ्तारी को लेकर पार्टी में उठ रहे सवालों का जवाब कांग्रेस को जल्द देना होगा, नहीं तो यह कलह चुनावी नुकसान का कारण बन सकती है।