बिलासपुर। बहुचर्चित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को एक और झटका लगा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति अरविन्द वर्मा की एकलपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि मामले की गंभीरता और चार्जशीट में शामिल तथ्यों को देखते हुए लखमा को फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती।
लखमा को 15 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की और उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। इस घोटाले में करोड़ों रुपये की हेराफेरी और मासिक कमीशन की बात सामने आई है।
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने कोर्ट को बताया कि रायपुर स्थित मंत्री के बंगले में हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के रूप में पहुंचते थे। यह घोटाला एक संगठित सिंडीकेट की तरह संचालित हो रहा था, जिसमें उच्च अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत सामने आई है।
वहीं लखमा की ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने दलील दी कि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, सिर्फ गवाहों के बयान हैं। उन्होंने गिरफ्तारी को राजनीतिक षड्यंत्र बताया। लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि आरोप गंभीर हैं, इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।
यह मामला अब और गहराता जा रहा है, और आगे की जांच में कई नए खुलासे होने की संभावना है।