रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 2025 इन दिनों जारी है और गुरुवार को सत्र के चौथे दिन सदन में कृषि क्षेत्र से जुड़ी गंभीर समस्याओं को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच जमकर बहस देखने को मिली। मुख्य मुद्दा किसानों को डीएपी खाद की आपूर्ति में कमी और कालाबाजारी रहा, जिस पर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने इस विषय पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसानों को खाद समय पर और पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही है। जवाब में सरकार की ओर से प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम ने जानकारी दी कि इस साल राज्य के लिए डीएपी का लक्ष्य 3.10 लाख टन था, लेकिन अब तक केवल 1.08 लाख टन ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि 40% डीएपी निजी एजेंसियों को वितरित किया गया है और राज्य सरकार नैनो यूरिया को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीएपी की कालाबाजारी का मुद्दा जोरशोर से उठाया और सरकार से पूछा कि जब खाद की मांग ज्यादा है तो उसकी अवैध बिक्री पर रोक क्यों नहीं लग पा रही। मंत्री नेताम ने जवाब में कहा कि अब तक 1.72 लाख मैट्रिक टन डीएपी आ चुका है और अगले पांच दिनों में और 18 हजार मैट्रिक टन आने की उम्मीद है। लेकिन विपक्ष सरकार के जवाब से असंतुष्ट नजर आया और नारेबाजी करते हुए वेल में घुस गया।
इस हंगामे के बीच भी विधानसभा की कार्यवाही जारी रही और सरकार ने तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को ध्वनि मत से पारित करवा लिया। इनमें शामिल हैं:
1. छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय स्थापना विधेयक, जिसे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पेश किया।
2. छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2025, जिसे राजस्व मंत्री टंकाराम वर्मा ने सदन में रखा।
3. नगरीय क्षेत्रों में आवासहीन व्यक्तियों को पट्टा अधिकार संशोधन विधेयक, जिसे भी राजस्व मंत्री ने प्रस्तुत किया।
सत्र का यह दिन एक ओर जहां कृषि संकट और खाद आपूर्ति पर बहस का गवाह बना, वहीं सरकार ने कई अहम विधायी काम भी पूरे किए।