रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति-2025’ को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत नक्सल हिंसा से प्रभावित नागरिकों, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और सुरक्षा बलों की सहायता करने वाले ‘गोपनीय सैनिकों’ (मुखबिरों) को आर्थिक सहायता, पुनर्वास और कानूनी समर्थन मिलेगा।
पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद और भूमि का प्रावधान
नई नीति के अनुसार, नक्सल विरोधी अभियानों में मारे गए गोपनीय सैनिकों के परिजनों को अब 10 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा, जो पहले 5 लाख रुपये था। विकलांगता की स्थिति में यह राशि 5 लाख रुपये तक होगी। नागरिकों की हत्या या स्थायी विकलांगता के मामलों में 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि या शहरी क्षेत्रों में 4 डेसीमल (1,742 वर्ग फुट) आवासीय भूमि दी जाएगी। भूमि न मिलने पर ग्रामीण क्षेत्रों में 4 लाख रुपये और शहरी क्षेत्रों में 8 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
शिक्षा और रोजगार में विशेष सुविधा
पीड़ित परिवारों के बच्चों को प्रयास आवासीय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिलेगी। उच्च शिक्षा या तकनीकी प्रशिक्षण करने वाले छात्रों को 25,000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। यदि परिवार को सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती है तो 15 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। निजी क्षेत्र में नौकरी पाने वालों को सरकार 5 साल तक वेतन का 40% भुगतान करेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये प्रति वर्ष होगी।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50,000 रुपये की नकद सहायता और आत्मसमर्पित हथियारों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। बड़े हथियार डंप की बरामदगी पर 1 लाख रुपये, 5 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक उपकरण की जब्ती पर 15,000 से 25,000 रुपये तक का प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार का मानना है कि सख्त कार्रवाई और पुनर्वास में संतुलन से नक्सलवाद की समस्या का समाधान संभव है।