दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी किया है कि ‘शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान योजना’ के तहत निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने वाले सरकारी डॉक्टरों को वहाँ से हटाया जाए। इसके तहत निजी अस्पतालों को एक शपथ पत्र देने की आवश्यकता होगी, जिसमें यह पुष्टि हो कि वहां किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं। इस आदेश का उद्देश्य सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर नियंत्रण रखना है, लेकिन इससे सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर असहज महसूस कर रहे हैं और इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं।
रायपुर के डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. सुरेश सिंह और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश अग्रवाल ने एक महीने का नोटिस दिया है, जबकि न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्पित अग्रवाल ने निजी अस्पताल में काम करने के लिए पहले ही इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा, राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के 22 डॉक्टरों ने आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है।
डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अतुल देशकर ने बताया कि डॉक्टरों से इस्तीफे वापस लेने पर चर्चा की जा रही है। इसी बीच, डीएमई डॉ. यूएस पैकरा ने कहा कि मामले को गंभीरता से लेकर डॉक्टरों से बातचीत की जाएगी ताकि समस्या का समाधान हो सके।