रायपुर। सुकमा जिले के ग्रामीण इलाकों में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन ग्कोंरामीणों की मौत से सनसनी फैली हुई है। पिछले 10 दिनों में 7 ग्रामीणों की मौत हुई है। जिन इलाकों में ये मौतें हुईं हैं उनमे कोटा विकासखंड के इतकल और उसकेवाया गांवों, छिंदगढ़ विकासखंड के चितलनार गांव शामिल है। इन मौतों का कारण उल्टी और दस्त बताया जा रहा है, जिससे गांव में हर 12 घंटे में एक व्यक्ति की जान जा रही है। मृतकों में दूधी मासा, जिरमिट्टी, सुकलु, दशमी, सुकड़ी, और सेतुराम सहित कई लोग शामिल हैं।
इस त्रासदी के पीछे गांव में आई बाढ़ के बाद फैलने वाली डायरिया जैसी बीमारियों को कारण बताया जा रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने मेडिकल टीम भेजी, लेकिन उसमें केवल एक रूरल मेडिकल असिस्टेंट (RMA) मौजूद था। इस टीम ने 127 ग्रामीणों की जांच की, जिसमें नौ लोगों में डायरिया की पुष्टि हुई है, जबकि अन्य लोग बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत कर रहे हैं।
चितलनार के अलावा कोंटा विकासखंड के अन्य गांवों में भी पिछले कुछ वर्षों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। पिछले चार सालों में 44 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, और तीन साल पहले रेगड़गट्टा समेत आस-पास के गांवों में भी 50 से अधिक लोग इसी तरह की बीमारियों का शिकार हुए थे। ये लगातार हो रही मौतें क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं, जो इन घटनाओं को रोकने में विफल रही हैं।