मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने संगठन और सत्ता के बीच की दूरी को पाटने के लिए 21 साल पुराने फार्मूले को फिर से ज़मीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। अब सरकार के मंत्री भी एक दिन पार्टी मुख्यालय में बैठेंगे, जिससे कार्यकर्ताओं और आम जनता को सीधा संवाद मिल सके।
खंडेलवाल के नेतृत्व में यह कवायद महज औपचारिकता नहीं, बल्कि कार्यकर्ता केंद्रित राजनीति को फिर से जीवंत करने की रणनीति है। प्रदेश भर के सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे सप्ताह में कम से कम एक दिन जिला कार्यालय में मौजूद रहकर कार्यकर्ताओं व जनता की बात सुनें। इस मॉडल की शुरुआत खंडेलवाल ने अपने गृह जिला बैतूल से की है।
बीजेपी में लंबे समय से यह शिकायत आम रही है कि सत्ता में आने के बाद कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होती है। अब प्रदेश अध्यक्ष की प्राथमिकता यही है कि कार्यकर्ताओं की भूमिका और संतुष्टि को प्राथमिकता दी जाए। उनका मानना है कि भाजपा को मध्य प्रदेश में कोई विपक्षी दल नहीं, बल्कि उपेक्षित कार्यकर्ता हराता है।
इस प्रयोग के जरिए न केवल जनता से संवाद मजबूत होगा, बल्कि संगठन को सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत का फीडबैक भी मिलेगा।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, 2004 में इसी फार्मूले के तहत संगठन को सर्वोपरि बताया गया था। आज भले ही सत्ता और संगठन के बीच टकराव नहीं है, लेकिन यह प्रयोग पार्टी के कैडर को फिर से सक्रिय करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकता है।
खंडेलवाल के इस मॉडल से साफ है कि भाजपा मध्य प्रदेश में अगले चुनाव की नहीं, अगली पीढ़ी की तैयारी कर रही है।