भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर और जबलपुर के लिए नए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं, जो शहरों के समग्र विकास और योजना को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। इन प्लान्स में ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (टीडीआर) यानी हस्तांतरणीय विकास अधिकार को लागू किया जाएगा, साथ ही 24 मीटर की सड़कों की नीति और शहरों में हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। खासतौर पर हाईराइज बिल्डिंग्स के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि शहरों के अनियंत्रित फैलाव को रोकते हुए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सके। इस प्रक्रिया में सरकार का उद्देश्य यह भी है कि सड़कों, बिजली, और पानी जैसी सुविधाओं के विकास पर अत्यधिक खर्च न करना पड़े।
भोपाल, इंदौर और जबलपुर के मास्टर प्लान
क्रमशः 2047, 2041 तक के लिए तैयार किए जा रहे हैं। यह भोपाल और इंदौर का तीसरा और जबलपुर का चौथा मास्टर प्लान होगा। पहले संशोधन के कारण ये योजनाएं वर्षों से अटकी हुई थीं, जैसे कि भोपाल का मास्टर प्लान 19 साल से लंबित है। जब तक नए मास्टर प्लान लागू नहीं होते, तब तक धारा 16 के तहत कॉलोनियों के विकास की अनुमति दी जा रही थी, जिसे अब बदलकर नगर तथा ग्राम निवेश के आयुक्त को अधिकार सौंप दिया गया है।
नए प्लान में सड़कों को जोड़ने और हरियाली पर खास ध्यान दिया गया है। भोपाल के मास्टर प्लान में सीहोर, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज और बंगरसिया जैसे क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा, जबकि इंदौर के मास्टर प्लान में पीथमपुर, देवास और उज्जैन को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, कॉलोनाइजरों को कॉलोनियों में हरियाली विकसित करने, सड़क के किनारे पौधारोपण, और अंडरग्राउंड वायरिंग जैसी योजनाएं अनिवार्य रूप से लागू करनी होंगी।
आईटी पार्क और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भी योजना बनाई गई है, जिसमें आईटी से जुड़ी सुविधाएं देने का जिम्मा कॉलोनाइजरों को दिया जाएगा। इसके अलावा, मिश्रित भूमि उपयोग के तहत व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए स्थान तय किए जाएंगे, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि सरकार की नीतियों को ध्यान में रखते हुए इन मास्टर प्लान्स में पर्यावरण संरक्षण, हरियाली और मेट्रोपोलिटन रीजन प्लान को भी शामिल किया जाएगा, जिससे शहरों का समग्र और संतुलित विकास सुनिश्चित किया जा सके।