रायपुर। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को सहेजने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पद्मश्री सम्मान से विभूषित राज्य की विभूतियों को दी जाने वाली सम्मान राशि को बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया है। उन्होंने यह घोषणा छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में की। मुख्यमंत्री ने अपने छत्तीसगढ़ी भाषा में दिए गए संबोधन में कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी को एक ऐसी “गुरतुर” भाषा बताया, जो समाज को भावनात्मक रूप से जोड़ती है।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों की लोकप्रियता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन फिल्मों ने छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही उन्होंने साहित्य परिषद में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के विलय को समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि आयोग अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रोत्साहित करने का कार्य करता रहेगा। यह उल्लेखनीय है कि पहले राजभाषा आयोग को साहित्य परिषद में विलय कर दिया गया था।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने वाले छह साहित्यकारों को सम्मानित किया। इन्हें शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। साथ ही, उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखित 12 नई पुस्तकों का विमोचन भी किया। इस अवसर पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का प्रयास करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे छत्तीसगढ़ी में बातचीत करें और नई पीढ़ी को भी यह भाषा सिखाने का प्रयास करें। साहित्यकारों को छत्तीसगढ़ी में उपन्यास, कविता और इतिहास लेखन के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा में सदस्य छत्तीसगढ़ी में अपना संबोधन दे सकते हैं।
कार्यक्रम में पद्मश्री सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे और डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को संरक्षित और लोकप्रिय बनाने की दिशा में नए प्रयासों को बल दिया।