---Advertisement---

शिवराज सरकार के समय के घोटालों पर कार्रवाई नहीं, मोहन सरकार की बढ़ी दुविधा

By Harshit Shukla

Published on:

Click Now

भोपाल। मध्यप्रदेश की वर्तमान मोहन सरकार एक गंभीर दुविधा से जूझ रही है। पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले एक-एक कर सामने आ रहे हैं, लेकिन दोषी अधिकारियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गड़बड़ी
इस मिशन में संविदा नियुक्तियों को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। तत्कालीन CEO एलएम बेलवाल पर मंत्री के निर्देशों की अवहेलना कर मनमानी नियुक्तियां करने का आरोप है। हाईकोर्ट तक मामला पहुंचा, तीन बार जांच भी हुई, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई। परंतु तत्कालीन अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की सरपरस्ती के चलते किसी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो सकी। फिलहाल आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने मामला दर्ज किया है, लेकिन नौ वर्षों से यह मामला वहीं का वहीं है।

पूरक पोषण आहार घोटाला
यह घोटाला भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की जांच में सामने आया। टेक होम राशन (THR) की ढुलाई में जिन ट्रकों का ज़िक्र था, वे असल में मोटरसाइकिल, ऑटो और कारें निकलीं। करीब 10,176 टन राशन, जिसकी लागत ₹62.72 करोड़ बताई गई, वह न गोदाम में मिला, न ही उसके परिवहन के प्रमाण। बिजली और कच्चे माल की खपत में अंतर के आधार पर ₹58 करोड़ का फर्जी उत्पादन भी पकड़ा गया। CAG ने दोषियों पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र एजेंसी से जांच की सिफारिश की थी, लेकिन सिर्फ रस्मी नोटिसों के जरिए मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

सौभाग्य योजना में आंकड़ों की हेराफेरी
प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत प्रदेश ने केंद्र को झूठे आंकड़े भेजकर ₹200 करोड़ के पुरस्कार प्राप्त किए। कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी ने टेंडर दिसंबर 2018 में जारी किया, जबकि दावा किया गया कि नवंबर में ही लक्ष्य पूरा कर लिया गया। कांग्रेस शासनकाल में हुई जांच में डिंडौरी और मंडला में भारी घोटाले उजागर हुए, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इन मामलों में लगातार जांच और खुलासों के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

Follow On WhatsApp
Follow On Telegram
---Advertisement---

Leave a Comment