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COVID-19: नए वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता, भारत में भी मामले दर्ज, क्या फिर बन रहे हैं लॉकडाउन जैसे हालात?

By Shashikant Mishra

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नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मामले कई देशों में एक बार फिर से बढ़ते देखे जा रहे हैं। भारत, सिंगापुर-अमेरिका सहित कई देशों में संक्रमण के मामलों में पिछले एक महीने में भारी उछाल आया है। अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना के नए वैरिएंट FLiRT (फिलर्ट) में ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो इसे तेजी से संक्रमण फैलाने के योग्य बनाते हैं। आलम ये है कि सिंगापुर में 11 मई को समाप्त सप्ताह में 25 हजार से अधिक लोगों में संक्रमण की पहचान की गई है। इससे पहले के सप्ताह में 13 हजार से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में भी कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा सहित कई राज्यों में नए वैरिएंट्स के कारण कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है। नया कोरोना वैरिएंट फिलर्ट (KP.2) ओमिक्रॉन का ही सब-वैरिएंट है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहने की अपील की है। सिंगापुर सरकार ने एहतियातन लोगों से मास्क लगाने की भी अपील की है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर से लॉकडाउन जैसे हालात बन रहे हैं?

अगला महीना चुनौतीपूर्ण

सिंगापुर के स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग ने अगले महीने संक्रमण के मामलों के पीक पर पहुंचने की आशंका जताई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा हम कोरोना की नई लहर के शुरुआती दौर में हैं जहां मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसे अभी से नियंत्रित करना जरूरी है। ‘FLiRT’ वैरिएंट का नया सेट अब देश के दो-तिहाई से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। सिंगापुर के अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।

क्या बन रही है लॉकडाउन जैसी स्थिति?

कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर किए गए अध्ययनों की रिपोर्ट के आधार पर विशेषतज्ञों ने बताया KP.2 जिस गति से बढ़ रहा है ऐसे में यह बहुत जल्दी ही अब तक सबसे तेजी से फैलने वाले JN.1 वैरिएंट की जगह ले सकता है। कोरोना के लगभग 50% सैंपल के अध्ययन में KP.2 को ही प्रमुख कारक माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने KP.2 को ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि फिलर्ट भी ओमिक्रॉन जैसी प्रकृति वाला है, ऐसे में इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा जरूर है पर गंभीर रोग के मामलों की आशंका कम है। अगर शुरुआती स्थिति में ही बचाव के उपाय कर लिए गए तो इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

कितने अलग हैं इसके लक्षण?

नए वैरिएंट को लेकर किए गए अध्ययनक की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक KP.2 में कोई आश्चर्यजनक लक्षण नहीं देखे गए हैं। अध्ययनकर्ता डॉ. लुंडस्ट्रॉम कहते हैं, नए वैरिएंट के लक्षण भी कोविड के पहले के वैरिएंट्स से मिलते-जुलते हैं। ज्यादातर संक्रमितों में बुखार या ठंड लगने, खांसी, सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों या शरीर में दर्द, सिरदर्द, स्वाद या गंध की कमी जैसी दिक्कतें देखी जा रही हैं। अधिकतर संक्रमित बिना लक्षणों वाले देखे जा रहे हैं।

क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?

अध्ययनकर्ता लुंडस्ट्रॉम कहते हैं, ओमिक्रॉन के पिछले वैरिएंट्स की ही तरह KP.2 से संक्रमितों में भी स्वाद और गंध की कमी जैसे मामले कम देखे जा रहे हैं। अधिकतर लोगों को विशिष्ट उपचार भी जरूरत महसूस नहीं हो रही है और वे खुद से ठीक हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह कहना जल्दबाजी होगी कि नया वैरिएंट कितना संक्रामक है लेकिन इसके मामले बढ़ रहे हैं। मास्क पहनना, कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना सबसे जरूरी है। बचाव करते रहना सभी लोगों के लिए जरूरी है।

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