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‘भारत महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार…’, CJI चंद्रचूड़ ने की सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कानूनों की तारीफ

By Shashikant Mishra

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नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने नए आपराधिक न्याय कानूनों को समाज के लिए एक ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने शनिवार को कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है। वहीं, उन्होंने नागरिकों से आम चुनाव में मतदान करने का अवसर न चूकने का आग्रह किया।  सीजेआई चंद्रचूड़ अपराध के न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत के प्रगतिशील मार्ग पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि नए कानून तब सफल होंगे, जब हम इसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि नए लागू कानूनों ने आपराधिक न्याय पर भारत के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है।

यह बदलाव करना बहुत जरूरी था

उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की जांच के लिए यह बदलाव करना बहुत जरूरी था। सीजेआई ने आगे कहा कि संसद द्वारा नए कानूनों पर मुहर लगाना इस बात का संकेत है कि देश बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है तथा मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए उसे नए कानूनी उपायों की आवश्यकता है। सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे। गौरतलब है, देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए नए अधिनियम- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय सक्षम अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। हालांकि, वाहन चालकों द्वारा हिट एंड रन के मामलों से संबंधित प्रावधान को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। बता दें, तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को अपनी सहमति दी थी।

CJI चंद्रचूड़ की स्पीच की 3 खास बातें

-भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली ने हमारे सामाजिक-आर्थिक परिवेश में हुए तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है। न्याय प्रणाली ने समाज में होने वाले अपराधों के तरीकों की एक बार फिर से कल्पना की है।
-तकनीकी और नए युग के अपराध के बढ़ते दायरे, जो अपराध करने और नेटवर्क बनाने के लिए डिजिटल का इस्तेमाल करते हैं, इन्हें जांच की स्थिति में नहीं रखा जा सकता। इन चीजों ने अपराधों की जांच, सबूत और अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) के साथ-साथ न्याय देने में चुनौतियां पेश की हैं।
-भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता डिजिटल युग में अपराधों से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। यह 7 साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों के लिए तलाशी और जब्ती की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग और अपराध स्थल पर एक फोरेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी तय करती है।

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