
भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया है, जिससे करीब 10 हजार पदों पर होने वाली नियुक्तियां फिलहाल अटक गई हैं। जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने स्पष्ट किया है कि माध्यमिक व प्राथमिक शिक्षक पदों पर नियुक्तियां अब कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेंगी।
यह आदेश सतना निवासी याचिकाकर्ता प्रदीप कुमार पांडे की ओर से दाखिल याचिका पर आया है, जिनकी ओर से अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने पक्ष रखा। याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य सरकार ने शिक्षक पात्रता नियमों में अचानक बदलाव कर दिया, जिससे पूर्व में योग्य माने गए उम्मीदवार अब अयोग्य घोषित हो गए। प्रदीप ने 2023 में माध्यमिक शिक्षक (संस्कृत) पद के लिए पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन 2024 में नए नियमों के तहत वे पात्र नहीं माने जा रहे हैं।
इस याचिका में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव, लोक शिक्षण आयुक्त, आदिवासी विभाग के आयुक्त और कर्मचारी चयन आयोग के संचालक से जवाब तलब किया गया है।
इसी तरह एक अन्य मामले में, हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने जबलपुर निवासी अनिल कुमार गर्ग की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कटनी के आदेश को निरस्त कर दिया है। अनिल कुमार, जो 1984 से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे, उन्हें 2017 में अकुशल श्रेणी में वेतनमान दिया गया था। कोर्ट ने इसे गलत माना और आदेश दिया कि उन्हें उपयुक्त वेतनमान दिया जाए, जिसके लिए DEO को 90 दिन का समय दिया गया है।
इन मामलों से साफ है कि शिक्षा विभाग की नीतियों में असंगतियों का असर हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य पर पड़ रहा है।