चारधाम यात्रा। आदि शंकराचार्य के द्वारा चार प्रमुख तीर्थ स्थल माने गए और इन्हें चारधाम की यात्रा कहा गया है। चारधामों में पवित्र आत्माओं का निवास माना जाता है और यहां जाकर भक्तों को आलौकिक अनुभव प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कोई व्यक्ति अगर अपने जीवनकाल में चारधाम की यात्रा कर ले तो उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
दो तरह की है यात्रा
हिंदू धर्म में चारधाम की यात्रा दो तरह की बताई गई है। जिसमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित है तो इसी तरह दूसरी तीर्थ यात्रा में बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका धाम की पवित्र यात्रा मानी गई है। इनके दर्शन करने से मान्यता है कि मानव के समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होकर बैकुंठ धाम में जगह मिलती है।
ऐसा है धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पवित्र तीर्थ स्थल चारधाम का जो धार्मिक महत्व बताया गया है। उसमें शास्त्रों के अनुसार यात्रा करने से व्यक्ति के पाप तो नष्ट होते ही है, उसके जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। वह मृत्यु लोक में फिर जन्म नहीं लेता और मोक्ष पता है। शिव पुराण के अनुसार केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन के बाद जो भी व्यक्ति जल ग्रहण करता है। उसका दुबारा पृथ्वी पर जन्म नहीं होता।
शिव-नारायण करते हैं विश्राम
धार्मिक मान्यता है कि बद्री धाम में भगवान विष्णु तो केदारनाथ में भगवान शिव विश्राम करते हैं। बद्री धाम को आठवां बैकुंठ कहा जाता है, जबकि केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित उक्त धाम है। यें स्थान नर और नारायण के नाम से न सिर्फ जाने जाते हैं बल्कि नर-नारायण नाम के दो पहाड़ भी स्थित है। केदारनाथ धाम और बद्री धाम के दर्शन से यात्रा को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
शारीरिक कष्ट से मिलती है मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि चारधाम की यात्रा करने से शारीरिक कष्ट की मुक्ति भी मिलती है, दरअसल चार धाम की यात्रा लंबे समय तक पैदल की जाती है नर और नारायण के वास वाले क्षेत्र में पैदल चलने से लोगों के शरीर में ऊर्जा बढ़ती है। जिससे आयु में वृद्धि होती है। शास्त्रों में कहा गया कि जो चार धाम की यात्रा करते हैं वे आरोग्य एवं लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त करते और जीवन में उनके कई तरह की शारीरिक समस्या दूर रहती है।