वाराणसी। कोरोना महामारी से बचाव के लिए बनाई गई कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके को लेकर साइड इफेक्ट की बातें सामने आ रही है। मीडिया खबरों के तहत कोविशील्ड को विकसित करने वाली ब्रिटिश कंपनी ने अदालत में खुद स्वीकार किया था कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है। तो वही अब स्वदेशी निर्मित कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर भी रिसर्च में चिंताजनक रिपोर्ट सामने आ रही है जिसमें बताया गया है कि कोवैक्सीन का साइड इफेक्ट गंभीर किस्म का है और इसमें कंम आयु के युवा-महिलाए ज्यादा प्रभावित है।
बीएचयू में हुआ रिसर्च
कोवैक्सीन के रिसर्च एवं साइड इंफ्ेक्ट की बाते इकोनॉमिक टाइम्स ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च के हवाले से लिखी है। यह रिसर्च रिपोर्ट बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में हुई स्टडी से सामने आ रही है।
मीडिया खबरों के तहत रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट में सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लाटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां ज्यादा हो रही है। शोधकर्ताओं ने इसमें किशोरियों और किशोर बालकों पर ज्यादा खतरे की बात कही है, हालांकि कंपनी ने कुछ दिन पूर्व ही कहा है कि उनकी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।
1024 लोगों में किया गया रिसर्च
जो रिपोर्ट सामने आ रही है, उसमें टीका लगवाने वाले अधिकतर लोगों में एक साल तक साइड इफेक्ट देखा गया। मीडिया खबरों के तहत स्टडी में 1024 लोगों को शामिल किया गया। इसमें 635 किशोर और 391 युवा थे। इन सभी से टीका लगवाने के एक साल बाद तक फॉलोअफ चेकअप के लिए संपर्क किया गया।
कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स पर हुई स्टडी में 4.6 किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं (अनियमित पीरियड्स) देखी गईं। प्रतिभागियों में आंखों से जुड़ी असामान्यताएं (2.7 प्रतिशत) और हाइपोथायरायडिज्म (0.6 प्रतिशत) भी देखा गया। वहीं, 0.3 प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1 प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम की पहचान भी हुई।