लखनऊ । बुधवार को रामनवमी है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामनवमी मनाई जा रही है। इसका विशेष आकर्षण सूर्य तिलक होगा। रामलला के सूर्य किरणों से महामस्तकाभिषेक की तैयारी पूरी कर ली गई है। जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर मंगलवार को वैज्ञानिकों ने एक बार फिर सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया। कई बार के ट्रायल के बाद जो समय निश्चित किया गया है वह दोपहर 12:16 बजे का है। मंदिर व्यवस्था से जुड़े लोग इसे विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय मानते हैं।
वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति अध्ययन किया है। सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किया है। सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर रामलला के ललाट तक पहुंचाया जाएगा। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के लेंस पर पड़ेंगी। उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आएंगी। अंत में सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होंगी। लगभग चार मिनट तक टिकी रहेंगी। यह समय भी सूर्य की गति और दिशा पर निर्भर है।
दोपहर 12 बजे जब रामलला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, ठीक उसी समय सूर्य तिलक भी होगा। उस समय केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल और रवियोग बनेंगे। आचार्य राकेश तिवारी ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि रामजन्म के समय सूर्य और शुक्र अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा खुद की राशि में मौजूद थे। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है। आचार्य राकेश के अनुसार, ये शुभ योग अयोध्या सहित पूरे भारत की तरक्की के मार्ग प्रशस्त करेंगे।
सूर्यवंशी रामलला की ललाट पर 4 मिनट तक चमकेगा सूरज, 20 सालों की मेहनत से अयोध्या में कल दिखेगा चमत्कार
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